• ट्रंप प्रशासन ने रद्द किया भारतीय पीएचडी स्टूडेंट का वीजा

    ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा रद्द किए जाने के बाद, भारतीय स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन ने सीबीपी होम ऐप का इस्तेमाल कर खुद को सेल्फ डिपोर्ट किया है. क्या है अमेरिका से सेल्फ डिपोर्टेशन की प्रक्रिया?

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

    ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा रद्द किए जाने के बाद, भारतीय स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन ने सीबीपी होम ऐप का इस्तेमाल कर खुद को सेल्फ डिपोर्ट किया है. क्या है अमेरिका से सेल्फ डिपोर्टेशन की प्रक्रिया?

    ट्रंप प्रशासन ने रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द कर दिया है. रंजनी भारतीय नागरिक हैं और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही थीं. वीजा रद्द होने के बाद रंजनी ने खुद को अमेरिकी सरकार की सीबीपी होम ऐप के जरिए सेल्फ डिपोर्ट कर लिया है. इस बात की जानकारी अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए एक बयान में दी गई. कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक वेबसाइट के मुताबिक रंजनी श्रीनिवास ने अहमदाबाद की सीईपीटी यूनिवर्सिटी से डिजाइन में बैचलर्स की पढ़ाई की है और उन्हें फुलब्राइट नेहरू स्कॉलरशिप भी मिली थी.

    यूक्रेन को मदद बहाल, गेंद अब रूसी पाले में: अमेरिका

    अमेरिका में होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की प्रमुख क्रिस्टी नोम ने रंजनी का वीडियो अपने एक्स अकाउंट पर शेयर कर लिखा, "जब आप हिंसा और आतंक की वकालत करते हैं तब यह विशेषाधिकार (अमेरिका में पढ़ने और रहने का) खत्म कर दिया जाना चाहिए और आपको इस देश में नहीं होना चाहिए. मुझे खुशी है कि कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली ने सीबीपी होम ऐप का इस्तेमाल कर खुद को डिपोर्ट (सेल्फ डिपोर्ट) किया."

    कैसे करते हैं सेल्फ डिपोर्ट

    रंजनी ने जिस सीबीपी होम ऐप के जरिए खुद को सेल्फ डिपोर्ट किया, असल में पहले इसका नाम सीबीपी वन था और इसे ट्रंप की पूर्ववर्ती बाइडेन सरकार ने शुरू किया था. यह ऐप प्रवासियों को कानूनी रूप से अमेरिका आने में मदद करता था. इसमें लोग पासपोर्ट की जानकारी, फेस स्कैन और बाकी डिटेल्स अपलोड कर सकते थे. साथ ही, वे सीमा चौकियों पर अपॉइंटमेंट भी बुक कर सकते थे. लेकिन जब ट्रंप आए तब उन्होंने सीबीपी वन ऐप को सीबीपी होम बना दिया गया. इसमें जोड़ा गया एक नया फीचर "इंटेंट टू डिपार्ट" यानी, "वापसी की मंशा".

    इसका मतलब जो ऐप प्रवासियों को कानूनी रूप से अमेरिका आने में मदद करता था, अब वह अवैध आप्रवासियों को कानूनी रूप से अमेरिका से जाने में मदद कर रहा है. यह ऐप फ्री है. ऐप पर "इंटेंट टू डिपार्ट" फॉर्म भरना होता है और अपना बायोडेटा और फोटो अपलोड करनी होती है. यह भी बताना होगा कि क्या आपके पास वापस जाने के लिए पैसा है और क्या आपके पास अपने देश का वैध पासपोर्ट है. जब आप अमेरिका से बाहर चले जाएंगे, तो आपको अपनी विदाई की पुष्टि भी करनी होगी.

    ऐप के डेटा का हो सकता है गलत ढंग से इस्तेमाल

    लेकिन इसकी निगरानी कैसे होगी, ये अभी साफ नहीं है. सरकार एयरलाइन डेटा या फिर ऐप की लोकेशन ट्रैकिंग फीचर का इस्तेमाल कर सकती है. सरकार यही कहती है कि इस सिस्टम से इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट की ओर से जबरदस्ती किए जाने वाले डिपोर्टेशन से बचा जा सकता है. इसमें डिपोर्टेशन की कार्रवाई सख्ती से की जाती है. हाल ही में अमेरिका से जंजीर में जकड़कर भारत वापस भेजे गए ऐसे लोगों की तस्वीरें सामने आई थीं.

    सेक्रेटरी ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का कहना है कि जो लोग ‘सेल्फ डिपोर्ट करते हैं, वे कानूनी रूप से वापस आ सकते हैं. पर क्या ऐसा सच में होगा? इसकी गारंटी नहीं है. बल्कि जिस तरह से यह ऐप आप्रवासियों की जानकारी इकट्ठा कर रहा है, इससे आप्रवासियों की प्राइवेसी और बड़े पैमाने पर निगरानी का खतरा बढ़ता दिख रहा है. यानी अभी ट्रंप प्रशासन की ओर से ऐप के डेटा के इस्तेमाल की संभावनाओं पर कई तरह की आशंकाएं हैं.

    कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हुए विरोध प्रदर्शन वजह

    रंजनी श्रीनिवासन के डिपोर्टेशन के तार कोलंबिया यूनिवर्सिटी में साल 2023 और 2024 में हुए बड़े स्तर के विरोध प्रदर्शनों से जुड़ते हैं. इन प्रदर्शनों ने यूनिवर्सिटी और कई कंपनियों पर इस्राएल को दिए जाने वाले ऐसे फंड में कटौती का दबाव डाला था, जिसका इस्तेमाल लड़ाई में होता हो. 7 अक्टूबर, 2023 को इस्राएल पर हमास के हमले के बाद इस्राएल ने हमास के खिलाफ युद्ध छेड़ा था. स्टूडेंट चाहते थे कि गाजा में चल रहे इस युद्ध का अंत हो.

    सत्ता में आने के बाद ट्रंप प्रशासन ने दावा किया था कि वो अमेरिका में रह रहे फिलिस्तीन समर्थक विदेशी स्टूडेंट्स को डिपोर्ट करेगा. अब तक विरोध प्रदर्शन से जुड़े कई स्टूडेंट का वीजा रद्द होने की खबरें आ चुकी हैं.

    अहम छात्रनेता को किया गया गिरफ्तार

    रंजनी श्रीनिवासन से पहले अमेरिकी सरकार ने महमूद खलील नाम के स्टूडेंट का वीजा भी रद्द कर दिया था, जिसके बाद खलील को डिपोर्ट करने के लिए गिरफ्तार भी किया गया था. महमूद 2024 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में गाजा में इस्राएल के युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे.

    सीरिया में पले-बढ़े खलील, अमेरिका में रह रहे थे और उन्हें परमानेंट रेजिडेंसी मिली हुई थी. उनकी पत्नी अमेरिकी हैं. पिछले साल कोलंबिया के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स और यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी.

    अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि आने वाले दिनों में और भी स्टूडेंट्स का वीजा रद्द किया जाएगा. मार्को रूबियो के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि महमूद खलील की गिरफ्तारी और उन्हें वापस भेजे जाने की कार्रवाई, भविष्य में होने वाले कई कार्रवाइयों की शुरुआत भर है.

    Share:

    facebook
    twitter
    google plus

बड़ी ख़बरें

अपनी राय दें